MP का बड़ा शहर Indore जिसे मिनी बॉम्बे भी कहा जाता है यहाँ की गैर विश्व प्रसिद्ध है ये गैर क्या है तो चलिए आपको आज गैर के बारे में व गैर का पूरा इतिहास बताते है
गैर क्या है ?
गैर होली का त्यौहार है जो रंगपंचमी पर बनाया जाता है इसमें एक दूसरे को रंग गुलाल लगाया जाता है बिना जान पहचान के लोगो मतलब गेरो को भी रंग लगाया जाता है और अपना बना लिया जाता है इसलिए ही इसे गैर कहा जाता है |
गैर का पूरा इतिहास
इसका इतिहास कई वर्षो पुराना है | इस परंपरा की शुरुवात होकर राजवंश से शुरू हुई | होल्कर राजवंश के राजा महाराजा इस दिन आम जनमानस को रंग लगाने के लिए सड़को पर निकल आते थे |गाजे बाजे और बड़ी धूम धाम हर्ष और उल्लाहस के साथ जुलुस निकले जाते थे | इस परम परा का उद्देश समाज में सभी वर्ग के लोगो का एक साथ में मिल कर त्यौहार बनाना था कहा जाता है इस परंपरा की शुरुवात झांसी से हुई पर इंदौर की गैर की एक अलग ही पहचान है परन्तु इसके आलावा एक कहानी और सूने में अति है जिसके बारे में आपको आगे जानकारी देंगे
UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज सूचि शामिल करने की कोशिश जारी
पिछले दो सालो से Indore की गैर को UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल कराने का प्रयास किया जा रहा है, और अभी भी यह प्रयास जारी है और मानना है की जल्दी ही इस प्रयास का नतीजा मिलेगा | हर साल की तरह इस साल भी काफी तैयारी की गयी है लोगो में गैर को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है |
एक किस्सा पहलवानो के लोटे से जुड़ा भी है
रंग पंचमी से जुड़े कई किस्से सुनने में आते हैं। बुजुर्गो द्वारा बताया गया एक किस्सा और भी है । बताया जाता है की गेर 1955-56 से निकलना शुरु हुई थी। इससे पहले शहर के मल्हारगंज क्षेत्र में कुछ लोग खड़े हनुमान के मंदिर में फगुआ गाते थे और एक-दूसरे पर रंग और गुलाल लगाते थे। 1955 में इसी क्षेत्र में रहने वाले रंगू पहलवान एक बड़े से लोटे में केशरिया रंग घोलकर आने-जाने वाले लोगों पर रंग मारते थे। यहां से रंग पंचमी पर गेर खलने का चलन शुरू हुआ था। जब से ले कर आज तक इस उत्सव को मनाने की परंपरा चली आ रही है |
अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक इंदौर की गैर का उत्साह देखने को मिलता है
परंपरागत चली आ रही इंदौर की गैर को देखने के लिए देश नहीं बल्कि विदेशो से लोग आते है हर बार की तरह इस वर्ष भी विदेशी लोग इंदौर की गैर देखने आते है , बाहर से आने वालो के लिए गैर को देखने के लिए प्रशासन ने कई इंतजाम कर रखे थे |
इस बार की गैर में क्या था खास
जैसे की आपको पता हे गैर कई इलाकों से कई टोलियो ,कई संस्था ,संगठन द्वारा निकली जाती है जिसमे हिन्द रक्षक द्वारा सबसे बड़ी व विशाल गैर निकली जाती है इस टोली में महिलाये भी उत्साहित हो कर बढ़ चढ़ कर भाग लेती है | हिन्द रक्षक दल द्वारा महिला की सुरक्षा को ले कर कई इंतजाम भी किये जाते है इस ग्रुप द्वारा कई प्रकार की झाकियों का प्रदर्शन किया जाता है इस बार की झांकी में राम मंदिर की झांकी प्रदर्शित की गयी जो की एक आकर्षण का केंद्र थी |
इस बार की खासियत CM डॉ मोहन यादव जी भी हुए शामिल साथ ही मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ,तुलसी सिलावट, व विधायक मालिनी गौड़ भी हुए शामिल गैर का मुख्य उद्देश्य अपनों में मिल कर रोंगो से खेलना आपस में मिल कर भाई चारे को बढ़ाना
2024 गैर परंपरा का 75 वा वर्ष
साल भर इस गैर का इंतजार किया जाता है इस गैर परम परा को मानते हुए 75 वर्ष हो चुके है और आज बी होल्कर वंश से चली आ रही यह परम परा कायम है | गैर की शुरुवात लग भग 11 बजे मल्हारगंज टोरी कार्नर से की जाती है यहाँ से गैर निकल कर भारी संख्या में लोग राजबाड़ा पहुंचते है और वहा लाखो की संख्या में लोग इकठ्ठा हो कर इस गैर का उत्सव मानते है |
स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान
स्वास्थ और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सालो से चली आ रही गैर में केमिकल युक्त रंगो का त्याग कर गुलाल का प्रयोग किया जाता है | जनमानस पर गुलाल व खुशबूदार पानी का छिड़काव किया जाता है अलग अलग रंगो से पूरा इंदौर साराबोर हो जाता है |
इस प्रकार यह गैर समाज में विविधता और सामूहिक समरसता का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल रंगों का उत्सव है, बल्कि एकता, मित्रता, और प्रेम का प्रतीक भी है। गैर का महत्व धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक स्तर पर है। यह उत्सव सभी आयु वर्गों को एक साथ लाता है और समृद्धि और खुशी का संदेश देता है।
गैर का उत्सव रंगीन और आनंददायक होता है, जो लोगों के दिलों में समरसता और प्रेम की भावना भर देता है। इस उत्सव के अवसर पर, हमें सामूहिक उत्साह और सामाजिक सद्भावना का संदेश देने के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। इस त्योहार को मनाने के माध्यम से हम सभी एक-दूसरे के साथ और प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्वक रह सकते हैं।
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