MP Tribes : मध्य प्रदेश की जनजातीय का परिचय ,क्षेत्रीय वितरण ,भौगोलिक वितरण

(MP tribes) मध्य प्रदेश की जनजातीय का परिचय

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366 (25) के अनुसार जनजातीय से तात्पर्य उन जनजाति समुदाय अथवा जनजाति समुदायों के अंशु या समूह से है जो संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति के रूप में माने गए हैं
  • वास्तव में जनजाति अथवा आदिवासी ऐसे मानव समूह है जो विकास के सोपान से सबसे निचले पायदान पर है |
  • ये ऐसे सामाजिक समूह है, जो निश्चित भू – भाग (पर्वत जंगल) में निवास करते हैं |
  • उनकी अपनी बोली , रीति रिवाज , रहन-सहन ,खान-पान सभ्यता होती है|
  • मध्य प्रदेश की विशिष्ट पहचान यहां की जनजाति संस्कृति एवं यहां रहने वाली जनजातियां है |
  • मध्य प्रदेश में आदिम जनजातियों को सामूहिक करने का प्रयास 1931 में किया गया था
  • सर हरबर्ट रोजले ,श्री लस्सी ,श्री अल्वी तथा श्री ए वी ठक्कर (ठक्कर बप्पा) ने इन्हें आदिवासी,ग्रियर्सन ने इन्हें पहाड़ी जनजाति, प्रसिद्ध समाजशास्त्र डॉक्टर घुरिया ने इन्हें पिछड़े हिंदू ,डॉक्टर दास तथा दास ने इन्हें विलेन मानवता ,अंग्रेजों ने दलित वर्ग तथा भारतीय संविधान की धारा 342 (1) के अंतर्गत इन्हें अनुसूचित जनजाति की संज्ञा दी गई है |
  • मध्य प्रदेश की जनजाति (MP tribes) प्रोटो ऑस्ट्रेलिया समूह का प्रतिनिधित्व करती है |
  • भारत के राष्ट्रपति के द्वारा मध्य प्रदेश के लिए जारी अनुसूचित जनजातियों की सूची संशोधन 1976 में इन्हें 46 समुदाय के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया था
  • भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 8 जनवरी 2003 द्वारा मध्य प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की सूची में अंकित क्रमशः कीर ,मिना ,पारधी जनजाति को सूची से विलोपित किया गया है इस प्रकार वर्तमान में मध्यप्रदेश में कुल 43 अनुसूचित जनजातीय समूह अधिसूचित है |
  • मध्य प्रदेश में कुल 55 जिले हैं 55 जिलों में से 21 आदिवासी जिले हैं जिसमें 6 पूर्ण रूप से जनजाति बहुल जिले तथा 15 अधिकांश जनजाति कुल जिले हैं प्रदेश में 89 जनजाति विकासखंड है
  • प्रदेश के 15 जिलों में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा , भारी एवं सहरिया के 11 विशेष पिछड़ी जाति समूह अभिकरण संचालित है
  • मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या प्रदेश की जनसंख्या का 21.1% है
  • सर्वाधिक एवं न्यूनतम अनुसूचित जनजाति की संख्या वाले जिले क्रमशः धारा एवं भिंडी जब की सर्वाधिक एवं न्यूनतम अनुसूचित जनजाति का प्रतिशत क्रमांक अलीराजपुर एवं भिंड जिले में है

जनजातियों का क्षेत्रीय वितरण ( Regional distribution MP tribes)

क्षेत्रजनजातिजिले
उत्तर पूर्वीकॉल, मडिया, अगरिया, पानीका खेरवाशहडोल, सीधी, जबलपुर, रीवा, सतना,
दक्षिणगोंड भरिया बैगा माडिया हलबामंडला, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, होशंगाबाद
पश्चिमभिलाला , भीलखंडवा, खरगोन, झाबुआ, रतलाम, धार, अलीराजपुर
मध्यगोंड, कोरकूबैतूल, होशंगाबाद, जबलपुर, हरदा, नरसिंहपुर, रायसेन
उत्तर पश्चिमसहरियाग्वालियर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर
mp tribes
Mp tribes map

(MP Tribes) जनजातियों का क्षेत्रीय / भौगोलिक वितरण

पूर्वी व उत्तर पूर्वी क्षेत्र की जनजातियां : शहडोल ,सीधी ,जबलपुर ,रीवा ,सतना ,जिलों में कोल ,मुड़िया, अगरिया, पानीका, खैरवार , उरांव जनजाति पाई जाती है इसमें कोल सबसे प्रमुख है जो जबलपुर सतना रीवा जिले में है | यहा कोल जनजाति की जनसंख्या का 14% है |

दक्षिणी क्षेत्र की जनजातियां : इसमें अंतर्गत इसके अंतर्गत मंडला ,बालाघाट, सिवनी ,छिंदवाड़ा ,बैतूल , होशंगाबाद जिले आते हैं इन क्षेत्र में भारिया (छिंदवाड़ा जबलपुर ) ,बेगा ( मंडला बालाघाट ) गोण्ड कोरकू होशंगाबाद से पूर्वी निमाड़ तक जनजातीय पाई जाती है |

पश्चिम क्षेत्र की जनजातियां : खण्डवा (पूर्वी निर्माण) , खरगोन (पश्चिमी निर्माण), धार ,झाबुआ ,अलीराजपुर ,रतलाम ,बड़वानी जिले में भील जनजाति पाई जाती है | धार झाबुआ अलीराजपुर में सर्वाधिक भील जनजाति है

उत्तरी क्षेत्र की जनजातियां : सहरिया जनजाति

NOTE : डॉक्टर घुरिया ने सर्वप्रथम अनुसूचित जाति नाम प्रस्तावित किया था | ठक्कर बप्पा ने जनजातीय को आदिवासी नाम प्रदान किया

मध्य प्रदेश की प्रमुख जन जातियां (Important MP tribes)

भील जनजाति (MP tribes)

  • भील जनजाति मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति | (अलीराजपुर में 89%)
  • भारत की दूसरी बड़ी जनजाति
  • क्षेत्र मध्य प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र जिले झाबुआ ,अलीराजपुर, बड़वानी ,धार
  • भील शब्द की उत्पत्ति भील या बिल्लुवर शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है धनुष बाण अर्थात यह जनजाति धनुष तीर धारण करती है
  • खेती :दहिया / चिमता | मकान – कू और निवास स्थान – फाल्या
  • भित्ति चित्र : पिथौरा चित्रकार (पेमा फलिया ,भूरी बाई ) पिथौरा चित्र करने वाले कलाकर को लिखिंदर कहा जाया है
  • उत्सव या पर्व : भगोरिया (होली के समय) चलावणी , जातरा आदि
  • गीत : रेलो गीत, भगोरिया गीत
  • नृत्य : भगौरिया ,घूमर , गौरी डोहा , बड़वा
  • प्रमुख देवता राजपंथा (महत्वपूर्ण व शक्ति शैली देवता )
  • उपजाति भिलाला , पाटलिया , बरैला ,रथियास और राठला
  • पेय पदार्थ : ताड़ी तथा प्रिय भोजन – रबड़ी (मक्का) है |
  • यह जनजाति महुआ को कल्पवृक्ष मानती है |
  • भील समाज पितृ सत्तात्मक एवं पित्र स्थानीय होते हैं भीलों में दो तरह के विवाह परीक्षा विवाह (गोल गधेड़ो एवं अपहरण विवाह (भगोरिया) प्रचलित है  विधवा विवाह एवं वधु मूल्य भी प्रचलित है |
  • भगोरिया हाट भीलो का आर्थिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व का मेला है जो फागुन माह में लगता है |
  • भीलों का धर्म आत्मवादी है इनके सबसे प्रमुख देवता राजपंथा है जानवरों में ये लोग लोग घोड़े और सर्प को की पूजा करते हैं |
  • फैसला मूवी भीलों पर बनाई गई है जिसकी शूटिंग झाबुआ में हुई थी |
  • भीलो का स्वाभाव :स्वभाव से तुनुकमिजाजी होते हैं यहां तक की जरा जरा सी बात पर तीर चला कर हत्या भी कर देते हैं |
  • प्रचलन :भीलो में गुदना गोदने की प्रचलन अधिक है |
  • भील जनजातियों का विस्तृत वर्णन टीवी नायक ने अपनी पुस्तक (The Bhils a Study) में किया था
  • यह जनजाति प्रोटो ऑस्ट्रेलिया परिवार मानव जाति का प्रतिनिधित्व करती है
  • शारीरिक संरचना: भील जनजाति के लोग मध्य काठी ,तांबे के समान रंग, घुंघराले बाल ,चपटी नाक एवं हष्ट पुष्ट शरीर वाले होते हैं

गोंड जनजाति (MP Tribes)

  • गोंड जनजाति जनसंख्या की दृष्टि से मध्य प्रदेश की दूसरी बड़ी जनजाति है व भारत की सबसे बड़ी जनजाति है
  • प्रसिद्ध नृत्य शास्त्री श्री हिस्लोप के अनुसार गोंडी शब्द की उत्पत्ति तेलुगु भाषा के कोंड शब्द से हुई है जिसका अर्थ पहाड़ होता है यह जनजाति पहाड़ी क्षेत्र में निवास करती है इसलिए इसे गोंड कहा जाता है
  • गोंड जनजाति मुख्यतः मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में निवास करती है
  • गोंड स्वयं को कोयतोर कहते हैं जिसका अर्थ होता है पर्वत वासी मनुष्य
  • क्षेत्र :बैतूल ,जबलपुर ,डिंडोरी ,मंडल ,नरसिंहपुर, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा ,बालाघाट आदि क्षेत्र में निवास करते हैं
  • जनगणना 2011 के अनुसार मध्य प्रदेश में गोंड जनजाति की जनसंख्या 50.93 लाख है
  • शारीरिक संरचना : काला रंग ,चपटी नाक, चौड़ा चेहरा होता है स्त्रियों का कद पुरुषों की तुलना में छोटा होता है
  • विवाह पद्धति : दूध लौटावा मामा बुआ के बच्चों की आपस में शादी ,लामसेना विवाह ,सेवा विवाह ,चरण विवाह ,पठानी विवाह
  • नृत्य कर्म : कर्मा , सेला ,भड़ौनी ,बरसा ,कहरवा सजनी दीवानी आदि
  • उत्सव : मड़ाई उत्सव बस्तर का मड़ाई उत्सव विश्व प्रसिद्ध है,
  • मड़ई गोंडो का सांस्कृतिक मेला है ,एबाल्तोर नृत्य इस मेले का मुख्या आकर्षण है
  • धार्मिक स्थिति : इनका धर्म आत्मवाद और तांत्रिक प्रक्रियाओं पर आधारित होता है
  • उनके मुख्य देवता दुलादेव तथा बुध देव है तथा नारायण देव आदि के आराध्य देव हैं
  • युवा ग्रह : गोटूल पाटा गांव के बाहर का स्थान जहां विवाह के पहले युवक युवती का साथ में रखा जाता है
  • उपजाति :सोलहास – बढ़ाई गिरी का काम करने वाला , अगरिया – यह लोहे का काम करने वाले, ओझा : तांत्रिक क्रिया करने वाले और कोयला भूतिस – नाचने गाने वाले यह सभी इनकी उपजातियां हैं

बैगा जनजाति (MP Tribes)

  • बैगा मध्य प्रदेश की प्रमुख व पिछड़ी जनजाति है
  • यह गोंड की ही उपजाति मानी जाती है
  • निवास स्थान मुख्यतः पूर्वी मध्य प्रदेश मंडला ,बालाघाट ,सीधी ,शहडोल में है
  • परिवार :द्रविड़ मूल्य की आदिम जनजाति है
  • विवाह पद्धति : इनकी विवाह पद्धति लमसेना विवाह , चोर विवाह , उठना विवाह , मंगदी , चढ़ विवाह
  • पुस्तक: बेगा जनजाति के ऊपर लिखी गई पुस्तक (द बेग) के रचयिता बैरियर अल्वी है
  • बेगा जनजाति के लोग धरती को अपनी माता मानते हैं इसलिए धरती पर हल नहीं चलाते हैं इनका मनना है कि हल चलाने से धरती माता का सीन फट जाएगा इसलिए यह व्यवहार पोंडू झूम कृषि जैसे कृषि करते हैं
  • यह साल साज वृक्ष की पूजा करते हैं जिसमें उनके प्रमुख देवता बुद्धदेव है निवास करते हैं
  • उनके मुख्य नृत्य कर्मा ,सेला ,परधौनी ,फ़ाग , बिलमा रीना दादरिया आदि इनका प्रमुख नृत्य
  • बैगा जनजाति में पंचायत व्यवस्था होती है जिसमें पांच प्रकार के पंच , मुकदम ,दीवान ,समर्थ ,कोटवार एवं द्वार होते हैं

कोरकू जनजाति (MP Tribes)

  • क्षेत्र : मध्य प्रदेश के दक्षिण भाग में कोरकू जनजाति निवास करती है , जिले : हरदा , बैतूल होशंगाबाद खंडवा यह मुंडा अथवा कल कुलियाना जनजाति की एक शाखा है
  • कोरकू जनजाति में प्रोटो ऑस्ट्रेलिया मानव समूह का प्रतिनिधित्व करती है |
  • कोरकू जनजाति मुण्डा या कोलेरियन जनजाति की एक शाखा है, जो राजपूतों को अपना पूर्वज मानती है
  • कोरकू अर्थात मनुष्यों का समूह
  • उपजातियां : नाहला , मोवासिरुमा , बोडोया , बवारी आदि कोरकू के प्रमुख उपजातियां हैं
  • विवाह प्रचलन : लमसेना विवाह ,राजी बजी , हट विवाह
  • नृत्य : चटकोरा ,अटारी
  • उत्सव पर्व : जिरोती ,देव दशहरा ,माघ दशहरा ,आखातीज , डोडबली , पाल
  • मृतक संस्कार : सिडोल (यह जनजाति मृतक को दफनाती है और उनकी स्मृति में एक स्तम्भ का निर्माण करती है )
  • प्रमुख देवता :डोंगरदेव ,भटुआ देव आदि
  • शाखाएं :बावरिया – बैतू ल जिले के कोरकू आदिवासी बावरिया कहलाते हैं
  • रूम – अमरावती जिले के आदिवासी कोरकू रूम कहलाते हैं
  • बंदोरिया – पचमढ़ी क्षेत्र के कोर को बंदोरिया कहलाते हैं
  • शारीरिक संरचना : काला रंग ,गोल चेहरा ,काली आंखे ,चपटी नाक ,मोटे होंठ, और बलिष्ठ शरीर
  • आर्थिक क्रियाएं : इनका मुख्य व्यवसाय स्थानांतरित कृषि जिसे झूमिंग कृषि भी कहते हैं इसके अतिरिक्त यह तेंदूपत्ता कंदमूल तथा फलों का संग्रहण करते हैं

कोल जनजाति (MP Tribes)

  • कोल यह मध्य प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी जनजाति है
  • जिसकी 22 अप शाखाएं हैं
  • यह ऑस्ट्रिक परिवार का की जनजाति है जिसे मैक्स मूलर ने कोल या कोलेरियन कहा है इस जनजाति का उल्लेख रामायण तथा महाभारत में भी मिलता है
  • कोल शब्द का अर्थ मानव है
  • क्षेत्र : प्रदेश में यह जनजाति मुख्य्तः रीवा ,सतना ,सिंधी, तथा शहडोल में निवास करती है
  • यह मुंडा जनजाति झारखंड की एक शाखा है यह शबरी को अपनी माता मानते हैं
  • धार्मिक स्थिति : कोल जादू टोना पर विश्वास करते हैं तथा फसलों की रक्षा के लिए सूर्य ,चंद्र, पवन ,इंद्र की पूजा के साथ-साथ गंगा यमुना आदि नदियों की भी पूजा करते हैं
  • नृत्य :यह जनजाति कोल तथा दहका नृत्य करती है
  • पंचायत :इनकी पंचायत को गुहिया कहा जाता है
  • यह जनजाति मांस ,मदीना का सेवन नहीं करती है
  • आवास : टोला बनाकर रहते हैं जिन्हें कोलिहन टोला कहा जाता है घर की दीवारें मिट्टी पराली एवं बांस के साथ छत खपरेल से बनी होती है |

बंजारा जनजाति (MP Tribes)

  • मध्य प्रदेश में बंजारा को घुमंतू जनजाति के रूप में जाना जाता है
  • क्षेत्र : यह जनजाति मुख्ता निमाड़ तथा मालवा में पाई जाती है
  • निवास : बंजारा जनजाति के ऐसे लोगों जो ग्राम बसाकर रहते हैं ,टाण्डा या बालद कहलाते है | इनके घर पंक्तिबद्ध होते हैं टांडे का प्रधान अथवा सरदार नायक कहलाता है
  • यह जनजाति मुल्यता है राजस्थान के निवासी है उनके गांव मुख्य गांव के से दूर पंक्तिबद्ध होते है
  • बंजारा जनजाति के लोग सिख धर्म से अधिक प्रभावित है यह गुरु नानक साहब के समर्थक होते हैं
  • प्रसिद्ध पर्व : इनके प्रसिद्ध पर्व गणगौर पर्व है इसमें में शिव ,पार्वती की पूजा की जाती है
  • नृत्य : इनका मुख्य नृत्य तलवार नृत्य ,डंडा बेली नृत्य , लहँगी नृत्य है
  • बंजारा विश्व में सर्वप्रथम कंघी के आविष्कारक माने जाते हैं
  • वस्त्र आभूषण : बंजारा स्त्रियों कसीदाकरी में निपुण होती है यह हाथी दांत की चूड़ियां पहनती है
  • यह जनजाति की महिला गुदना प्रिया होती है
  • इस जनजाति में विवाह में उड़द दाल का प्रयोग शुभ माना जाता है
  • विवाह :विधवा विवाह ,चैट विवाह ,अपहरण विवाह एवं नतारा विवाह प्रचलित है
  • उनके प्रमुख देवता रामकृष्ण तथा बाबा रामदेव (राजस्थान) है

पारधी जनजाति (MP Tribes)

  • पारधी मराठी भाषा का शब्द है , जिसका अर्थ – आखेटक (शिकार) है
  • क्षेत्र : भोपाल ,रायसेन ,गुना ,सीहोर जिलों में निवास करती है
  • यह एक आखेटक जनजाति है जो वन्य पशुओं का शिकार करने में अत्यंत कुशल होती है
  • पारधी जनजाति की उपजातियां
  • फ़ांस पारधी : शिकार को जल में फंसा कर पकड़ती है
  • लंगोटी पारधी : यह केवल लंगोट धारण करते हैं
  • भील पारधी : यह बंदूक से पशु पक्षियों का शिकार करते हैं
  • चीता पारधी : यह मुख्यतः चीतों का पालने व प्रशिक्षण देने का कार्य करते हैं
  • गोसाई पारधी : यह भगवान वस्त्रधारी साधुओं की तरह रहते हैं तथा हिरण का शिकार करते हैं
  • शीशी का तेल वाले पारधी : यह पुराने समाज में मगरमच्छ का तेल निकालने वाले पारधी  होते हैं

हल्वा जनजाति (MP Tribes)

  • क्षेत्र : बालाघाट, मंडला, डिंडोरी
  • भाषा : हल्वा और हिंदी हल्वा शब्द हाल शब्द से बना है जिसका अर्थ जुताई होता है यह अन्य जनजातियों के साथ मित्रवत व्यवहार करते हैं
  • इसमें कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं : शिशु मृत्यु दर ज्यादा ,बाल श्रम ,बाल विवाह ,कुपोषण

पनिका जनजाति (MP Tribes)

  • क्षेत्र :सीधी ,शहडोल जिलों में पनीका अथवा परिका जनजाति निवास करती है
  • यह जनजाति द्रविड़ प्रजाति से संबंधित है
  • यह कबीर की विचारधारा कबीरपंथी को मानते हैं तथा इन्हें कबिराह भी कहा जाता है यह संसार की सबसे पहले कपड़ा बुनने वाली जनजाति है
  • उपवर्ग – शक्ति, साकेत ,पानीका ,कबीर पंथी
  • पनिका लोगों की मान्यता है कि कबीर का जन्म जल से हुआ था तथा उनका पालन पोषण एक पनीका महिला द्वारा किया गया था यही कारण है कि पनिका जनजाति कबीरपंथी होते हैं
  • मुख्य भोजन :पेज ,उड़द दाल ,मूंग तथा चावल
  • आर्थिक स्थिति : इनकी आजीविका का मुख्य साधन वस्त्र बुनाई है यह पारंपरिक वस्त्र बनाते हैं इनको बुनकर जनजाति भी कहा जाता है
  • पनिका जनजाति की एक पंचायत होती है जो गांव के सभी विवाद को निपटने के लिए उत्तरदाई होती है

बींझावार जनजाति (MP Tribes)

  • विंध्याचल पर्वत इनका मूल स्थान है और इसी के आधार पर इनका नाम बींझावार पड़ा |
  • यह विंध्यवासिनी देवी के पुत्र बारा भाई पेटकर को अपना पूर्वज मानते हैं |
  • बैगा जनजाति का विकसित रूप बिजावर माना जाता है अर्थात बेग आदिम जाति जीते हैं जबकि बींझावार वे बेग है जो धीरे-धीरे सभ्य समाज के संपर्क में आए हैं |
  • बींझावार में चार अप वर्ग है : बींझावार ,सोनझर ,विरझिया ,और बिसिया |
  • मातृभाषा : बींझावार की मातृभाषा छत्तीसगढ़ी है छत्तीसगढ़ के महान क्रांतिकारी रघुवीर नारायण सिंह इसी समुदाय के सदस्य थे |

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